पहले और बाद
पत्थर सिर्फ पत्थर ही था शिल्पी की नज़राने पहले वह पत्थर तो बन गया "शिल्प" शिल्पी की नज़राने बाद दीवार सिर्फ दीवार ही था रविवर्मा की नज़राने पहले वह दीवार तो बन गया "चित्र" रविवर्मा की नज़राने बाद हवा सिर्फ हवा ही था मुरली में घुसने के पहले वह हवा तो बन गया "संगीत" मुरलीधर आते ही इथर |
समुद्र सिर्फ नमकीन था
स्वामी के परिश्रम के पहले वह समुद्र तो बन गया "अमृद" स्वामी के परिश्रम के बाद बच्चा सिर्फ बच्चा ही था माँ-बाप के पालन के पहले वह बच्चा तो बन गया "इंसान" माँ-बाप के पालन के बाद छात्र सिर्फ छात्र ही था गुरूजी के शिक्षण के पहले वह छात्र तो बन गया "महान" गुरूजी के शिक्षण के बाद |